कोरोना वायरस का मतलब ये नहीं है कि बस आप मरने वाले हैं

कोरोना वायरस का मतलब ये नहीं है कि बस आप मरने वाले हैं

रोहित पाल

कोरोना वायरस जो कि चीन के वुहान शहर से फैला था। धीरे-धीरे इस वायरस ने लोगों में फैलना शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे इससे पीड़ित मरीजों को संख्या बढ़ती चली गयी। इसके बाद यह दुनिया के दुसरे देशों में भी फैलना शुरू हो गया। अब आलम यह है कि इससे 88 हजार से ज्यादा लोग दुनियाभर में इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब कोरोना वायरस ने भारत में भी दस्तक दे दी है। यहां इसके 2 नए कंफर्म केस सामने आ चुके हैं। 1 केस दिल्ली में और दूसरा तेलंगाना में। इससे पहले भी केरल में कोरोना वायरस के 3 कंफर्म्ड केस सामने आए थे विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। दुनिया भर के लाखों लोगों को इस वायरस से इंफेक्टेड होने की वजह से निगरानी में रखा जा रहा है और वैज्ञानिक फिलहाल इस बीमारी और वायरस का इलाज खोजने की कोशिश में जुटे हैं।

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अब सवाल यह है कि क्या कोरोना वायरस से कितना डरने की जरूरत है? दरअसल कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अमूमन देखा जा रहा है कि जब से भारत में 2 नए कोरोना वायरस के केस की पुष्टि हुई है तब से लोगों में खौफ का माहौल है। लोगों में एक अजीब खौफ है कि कोरोना होने का मतलब वह मर जाएंगे। ऐसा नहीं है कि अगर आपको आम सर्दी-जुकाम हो तो आप परेशान हो जाएं और तुरंत डॉक्टर के यहां भागें। हालांकि सर्दी-जुकाम होने पर लोकल डॉक्टर को जरूर दिखा लें। यह भी ध्यान रखें कि कोरोना होने का मतलब यह नहीं कि अब आप मर जाएंगे, कुछ दिनों के उपचार के बाद आप ठीक हो सकते हैं। उन लोगों को कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा नहीं है जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बेहतर है यानी अगर आप युवा हैं, हष्ट-पुष्ट हैं तो आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है, डरने की जरूरत नहीं है। बस आप ऐसी चीजों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें जिससे आपका इम्यून सिस्टम बेहतर हो। अपनी दिनचर्या में सुधार करें। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।   

एक्सपर्ट का भी यही मानना है कि ये इतना भी खौफनाक वायरस नहीं है। क्योंकि इससे पहले भी कई ऐसे वायरस फैल चुके हैं जिससे लाखों लोगों की जान चुकी है। 2003 में ऐसा ही एक वायरस सार्स फैला था। तब सार्स से प्रभावित हुए 10 फीसदी मरीजों की मौत हुई थी। फ्लू वायरस एक अलग तरह के वायरसों का परिवार है और इसमें कुछ सदस्य दूसरों की तुलना में ज्यादा घातक हैं। औसतन मौसमी फ्लू से मृत्यु की दर 0.1 फीसदी रहती है। अगर कोरोना के कारण अब तक हुई मौतों की तुलना इससे करें तो यह बहुत ही कम है। हालांकि हर साल दुनिया के करोड़ों लोग फ्लू की चपेट में आते हैं और हर साल लाखों लोगों की मौत भी होती है।

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किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?

बुजुर्ग, खासतौर ऐसे बुजुर्ग जो लंबे समय से किसी मर्ज के शिकार हैं। दरअसल हाल ही एक स्टडी में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा 80 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में सबसे ज्यादा है। इस स्टडी की रिपोर्ट चीन के जरनल Epidemiology में प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 11 फरवरी तक 44,672 कन्फर्म केस में से 1,023 लोगों की मौत हो गई, जो 2.3 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक 80 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की ज्यादा मौत हुई है, जो कुल संक्रमितों का 15 फीसदी है।

किस बीमारी के मरीजों की कोरोना से हुई मौत?

रिपोर्ट के मुताबिक रिटार्यड लोगों की मौत की संख्या करीब 5 फीसदी है। हृदय रोग के पीड़ितों में कोरोना संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा 10.5 फीसदी की मौत हुई जबकि 7.3 फीसदी डायबिटीक मरीजों की मौत हुई। इसके अलावा कोरोना के कारण श्वास की बीमारी के 6.3 फीसदी, हाइपरटेंशन के 6 फीसदी और कैंसर के 5.6 फीसदी मरीजों की मौत हुई। इसमें कुल संक्रमित लोगों में से 2.8 फीसदी पुरुष और 1.7 फीसदी महिलाओं की हुई है।

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आपको इससे बचने के लिए क्या करना होगा?

सबसे पहले बताई गयी सावधानी को बरतें जैसे- साबुन और पानी से अपने हाथों को कम से कम 20 सेकैंड तक धोएं। 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को अक्सर साबुन और पानी से धोएं, बिना धोए हाथों से अपनी आँखें, नाक और मुँह छूने से बचें. जो लोग बीमार हैं उनसे निकट संपर्क से बचें, बीमार होने पर घर पर रहें. संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर यात्रा करते समय या काम करते समय एक एन95 मास्क का उपयोग करें। इसके अलावा अपने इम्यून सिस्टम को बेहतर करें। उन फूड्स का सेवन करें जो इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते हैं।

वहीं डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस के हल्के संक्रमण वाले लोग आमतौर पर दो हफ्ते में ठीक हो रहे हैं। गंभीर रूप से बीमार लोगों को ठीक होने में 3-6 हफ्ते का समय लग रहा है।

 

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